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जानवर और आदमी

Shilpjyoti by Astrobhadauria
Shilpjyoti by Astrobhadauria
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ट्रेन से उतर कर भीड़ के साथ चलते हुये प्लेटफ़ार्म से बाहर आकर टेक्सी वाले से बात की अमुक स्थान पर चलना है,किराये की बात तय हो गयी,टेक्सी वाला अन्जान सडक पर लेकर चल दिया,काफ़ी देर चलने के बाद एक घनी आबादी के क्षेत्र मे टेक्सी वाले को कुछ लोगों ने रोक लिया,दो लोग अगल बगल से आये और जो भी सामान धन आदि पास मे था,ले लिया और टेक्सी से नीचे उतार कर धुनाई करने लगे,टेक्सी वाला चला गया,खाली हाथ सडक पर भटकने के अलावा और कोई रास्ता भी नही था,पूंछते हुये गंतव्य पर पहुंचा,हालत देखकर जिसके पास गया था वह भी घबडा गया,कोई पता नही था किस जगह पर क्या हुआ था।

बाजार मे गया सामान की खरीद करने के लिये मोल भाव करने लगा,एक आदमी पास मे आया बोला चलो अमुक वस्तु अमुक दुकान पर अच्छी और सस्ती मिलती है,उसके साथ चल दिया,थोडी दूर चलने के बाद उस आदमी ने एक हाथ कंधे पर रखा और बोला कि उसके दूसरे हाथ मे उस्तरा है,जो कुछ भी पास मे है चुपचाप निकाल कर देते जाओ शोर किया तो आंतडिया बाहर आजायेंगी,सब कुछ लेने के बाद यह और कह दिया कि मैं पीछे से देख रहा हूँ चुपचाप आगे चले जाना पीछे घूम कर मत देखना,डर के मारे चुपचाप चला गया,वह सब कुछ लेकर चला गया,लोग यही समझते रहे बहुत ही जानकार था इसलिये कंधे पर हाथ रख कर जा रहे है।

बस मे सफ़र कर रहे है बगल मे बैठा आदमी सोने का नाटक कर रहा है,लम्बा सफ़र था कुछ देर बाद तम्बाकू की खुशबू आयी और नींद आ गयी,जब आंख खुली तो अस्पताल मे था,बस वाला उतार कर अस्पताल मे पटक गया था जेब साफ़ थी जो भी सामान था वह सब गायब था।

पत्नी को लेकर बस का सफ़र कर रहा था,अटैची पैरों के पास रखी थी,एक महिला ने सीट पर बैठने की गुहार की,आदर से उसे खिसक पर जगह दे दी,रात का सफ़र था,सुबह गंतव्य पर पहुंचा अटैची को खोल कर देखा सभी नकदी और माल असबाव गायब था।

एक आदमी लोकल ट्रेन मे एक महिला को गाली दे रहा था,सभी खडे सुन रहे थे,मेरे से नही रहा गया,उस आदमी को गाली देने से  मना किया,उस महिला ने खुद ही कहना शुरु कर दिया,तू क्या मेरा खसम लगता है जो मेरे पर तरस खा रहा है उसकी बात सुनकर चार पांच और आ गये,बिना कुछ पूंछे ताछे मारपीट करने लगे,उस मारपीट के अन्दर जो भी जेब और हाथ मे था सभी कुछ ले लिया और अगले स्टेशन पर उतर गये,किसी भी व्यक्ति ने हस्तक्षेप नही किया बल्कि यह और सुनने को मिला कि यह सब मिलकर चलते है और जो इंसानियत दिखाता है उसका यही हाल होता है,तुम्हे सफ़र करने से मतलब है या नेतागीरी करने से मतलब है।

एक्सीडेंट हुआ पति पत्नी सडक पर गिर गये,कुछ लोग भागकर उठाने के लिये आये कुछ उठा रहे थे कुछ उनके महंगे सामान को उठाकर भाग रहे थे।

पानी की बोतल खरीदी सौ का नोट देकर बोतल का ढक्कन खोल पर पानी पीने लगा,जब बोतल खुल गयी तो दुकनदार ने छुट्टा नही है की बात की बस चलने को थी,मै उससे पैसे मांगता रहा उसने अपने दूसरे काम मे लगाकर मुझे अनसुना कर दिया,मजबूरी मे बस मे भागकर चढना पडा,सौ रुपये का एक बोतल पानी।

यह सब बाते सुनने और पढने मे बहुत अटपटी लगती है लेकिन यह हमारे और आपके बीच हो रहा है। इसे रोकने के लिये कोई कानून नही बना है,अगर कोई जेबकतरा पकड लिया जाये तो फ़ौरन ही पुलिस वाला आता है और उस जेबकतरे को दो थप्पड देता है लेकर चला जाता है,पर्स को वापिस दिया जाता है,लेकिन वही जेबकतरा दूसरी गाडी में देखा जा सकता है।

इच्छा हर आदमी की होती है कि वह भी शान से रहे,चाहे कोई भी समाज हो धर्म हो स्थान हो लेकिन शान से रहने के लिये उचित परवरिस की पहले जरूरत होती है। अगर उचित परवरिस नही दी गयी है तो इच्छा अपना रूप लेकर कुछ भी कर सकती है। तेरह साल की उमर से हर मनुष्य की इच्छायें जाग्रत होने लगती है। जरूरी नही है कि वह अपने लिये परवरिस का साधन आराम से प्राप्त कर ले,उसे अपने माता पिता पर निर्भर रहना पडता है। माता पिता अगर अपनी औलाद को समझते है तो वे जी जान से औलाद को पालने के लिये लग जायेंगे। लेकिन माता और पिता दोनो ही अपनी अपनी इच्छाओं की पूर्ति मे लग जायेंगे तो औलाद भी अपनी मनमानी करने लगेगी,जब नियम से बाहर कोई भी औकात हुयी तो वह अपनी मनमानी ही करेगी।

माता को चिन्ता है कि उसका रूप खराब हो जायेगा उसके वक्षस्थल लटक जायेंगे अगर अधिक दिन तक बच्चे को दूध पिलाया गया,बच्चा बोतल का दूध पियेगा उसे मानवीय गुण जो माता के दूध से मिलने है और उसकी प्राथमिक अवस्था जो एक प्रकार से नये उगते हुये पेड की तरह से है उसे जानवरों का दूध पिलाया जाने लगेगा तो वह बच्चा मानवीय गुण कहां से लेकर आयेगा। वह कालांतर मे उन्ही जानवरों की आदतो में चला जायेगा और उसे मनमानी करने जोर जबरदस्ती करने का तथा बजाय कमाकर खाने के छीनने झपटने लूटने मारने काटने लडाई लडने का गुण ही पनपेगा।

बोतल से दूध पीने वाले बच्चे बहुत जल्दी कामुकता के घेरे मे आजाते है,जिस जानवर का दूध पिया है उस जानवर की उम्र के अनुसार उसमे गुण पनपने लगते है उसे यह होश नही रहता है कि वह किस समाज से है किस तरह का व्यवहार उसे करना चाहिये,सामाजिक मान्यता क्या है,वह अपने को और अधिक उद्वेग मे लाने के लिये शराब आदि तामसी कारणो मे चला जायेगा और फ़िर जो होता है वह सभी के सामने है।

विद्यालय मे जाते है शिक्षा मे वही बाते सिखाई जाती है कि कैसे और कहां व्यक्ति से कमाया जा सकता है,कैसे लोभ को पैदा किया जायेगा और उस लोभ मे आकर कौन कौन आकर लाभ देगा। कहने को तो एम बी बी एस की डिग्री है लेकिन रोग की जांच के लिये लैब मे जाना पडेगा तरह तरह की जाचों का खर्चा देना पडेगा तब जाकर रोग समझ मे आया तो ठीक है नही तो आगे ईश्वर की मर्जी। पचास पैसे की गोली पर पिचहत्तर रुपये का मूल्य लिखा जायेगा,बाजार मे उतारने के लिये बहुत ही चतुर लोगो का सलेक्सन किया जायेगा,डाक्टरो को उसी दवा को लिखने के लिये भारी कमीशन दिया जायेगा,वह दवा नाम से चलने लगेगी,यह है हमारी इंसानियत,दुख दर्द के लिये हम डाक्टर के पास जायेंगे,बजाय दर्द को दूर करने के हम भिखारी बनकर घर वापस आयेंगे,दोषी कौन है डाक्टर कतई नही है,दोषी तो मरीज है जिसने जानबूझ कर रोग को पैदा किया है खानपान पर ध्यान नही दिया है,तो कौन भुगतेगा।

पडौसी की गाडी देखकर नही रहा गया,बाजार से किस्तो से गाडी खरीद ली गयी,जब घर का बजट गडबडाया तो दूसरे काम करने के लिये मानस बनाया गया,जो चल रहा था वह भी भारी पडने लगा,घर देर से आने लगे,बच्चे मन मर्जी के अधिकारी हो गये,इंसान कहां रहता है उन्हे पता ही नही लगा या तो टीवी या कम्पयूटर पर बैठ कर वे भी अपने लिये नये नये कारण खोजने लगे,जब पता लगा तब तक बहुत देर हो चुकी थी,कुछ नही किया जा सकता था।

मीडिया को भी मजा आगया कैसे लोगो को लूटा जा सकता है,कैसे लोभ दिया जा सकता है,कैसे कैसे किस्से लोगो को दिखाकर अपना स्थान बनाया जा सकता है,कैसे अपने प्रसारण के लिये विज्ञापन लिये जा सकते है,यह सब किसलिये हो रहा है ? अधिक से अधिक लोगो को अपनी बनायी गयी योजना मे फ़ंसाकर धन को कमाया जाना,जो जितना धन कमा लेता है वह उतना ही बलशाली बन जाता है जो नही कमा पाता है,या तो उसे चालाकी आती नही है या वह अच्छे माहौल मे पला बढा है,वह भी चालाकी से अगर धन को कमाने मे लग जाता तो उसे भी किसी से पूंछने की जरूरत नही पडती।

चालाकी वाले स्कूल मे दाखिला करवाने के लिये डोनेशन लगती है,चालाकी वाली ट्रेनिंग लेने के लिये अलग से क्लास लगते है,वह चालाकी किसके साथ की जाती है उसी मनुष्य के साथ, जो चोला चालाकी करने वाले ने भी पहिन रखा है। वह चालाकी कितना असर उसके साथ देगी इसका भी एक अन्त है,जब गति मिलती है तो कहते है अपने किये का फ़ल मिल रहा है,लडका बुढापे के लिये पैदा किया जाता तो वह बुढापे का सहारा बनता,लडका तो मजे के लिये पैदा किया गया था वह भी अपने अनुसार मजे ले रहा है,अब बहू को दोष क्यों दिया जा रहा है,वह भी अपने माता पिता के मजे को देखकर आयी है और उसे भी अपनी स्वतंत्रता मे दखल पसंद नही है,वह क्यों तुम्हारी सुनेगी ? जब समाज से परिवार से लगाव रखा होता आदमी की कीमत पहिचानी होती तो तुम्हारी भी पहिचान होती तुमने तो पैसे को समझा था उसे ही समझो,उसे ही देख कर जियो,जैसे ही हाथ पैर असमर्थ हो जायेंगे किसी अस्पताल मे डाल दिये जाओगे,समय से पहले मार दिये जाओगे,शरीर के अंग जो भी काम के होंगे उन्हे दूसरो के लगाने के लिये ऊंची कीमत लेकर लगा दिये जायेंगे,तुम्हारे को केवल उतना ही जलाने के लिये या दफ़नाने के लिये छोडा जायेगा जितना कि तुम्हारा आकार है,इसके अलावा जो जो चीजे लेकर आये थे वह सभी तो साथ मे नही जायेंगी।

कमीशन नही बनने पर सैलरी मे कटौती होने पर यात्रा भत्ता नही मिलने पर झूठी दवाइयों का भुगतान नही होने पर पत्नी के द्वारा कोई वस्तु किस्त मे खरीदने पर जब बजट मे कमी आयेगी तो दुखी होना जरूरी है,उस दुख को दूर करने के लिये और कोई उपाय तो नही है केवल शराब को ही दोस्त बनाया जा सकता है जैसे ही शराब की लत लगी,गुर्दे काम से चले जायेंगे,किडनी फ़ेलियर की बात हो जायेगी घर वाले किडनी नही देंगे तो क्या बात है,कोई जान पहिचान वाला डाक्टर कही से जुगाड कर ही देगा,एक बार फ़िर से जिंदा हो जाओगे और जो खोया है उसे पाने के लिये फ़िर से चालाकी और फ़रेबी वाले कारणो को शुरु कर दोगे।

मंदिरो मे जायेगे वहां भगवान मनोकामना पूरी कर देगा,फ़लां की थी तुम्हारी भी हो जायेगी,मूर्ति को देखकर भगवान का चमत्कार देखकर मनो दशा को जानकर पुजारी अपनी झोली भरने का उपक्रम करेगा वह भी जानता है कि जब तुमने कई गलत काम किया होगा तो मन्दिर मे जाने की जरूरत पडी,अगर सही काम किया होता तो मन्दिर मे जाने की जरूरत ही नही थी,मन्दिर तो तुम्हारे मन मे भी है तुम्हारे घर पर भी है। बडी तेज आवाज मे चिल्लायेंगे ईश्वर का नाम पुकारेंगे खुद की नींद तो अपने कर्मो से हराम कर रखी है दूसरो की नींद भी खराब करेंगे,बडे बडे लाउडस्पीकर लगाकर चिल्लायेंगे,दिन मे काम कसाई का करेंगे,बाद मे अपने को पापो से मुक्त करने के लिये भगवान का नाम लेंगे ! पाप जो कर दिया गया है वह क्या माफ़ हो जायेगा? जो मर गया है वह क्या जिन्दा हो जायेगा ? यह केवल मन का भ्रम है कि किया गया पाप ईश्वर का नाम लेने से कट जाता है,अगर इस शरीर से पाप किया है तो सजा तो भुगतनी ही पडेगी,भले ही किसी रूप मे भुगती जाये ! ईश्वर का दिया गया स्वच्छ शरीर बिगड सकता है,अंग भंग हो सकता है,संतान बरबाद हो सकती है,ईमान खराब हो सकता है,इज्जत खराब हो सकती है,हर दिन अपमान का हो सकता है हर रात अपमान मे जलने की रात हो सकती है,क्या नही हो सकता है। अक्सर देखा गया है कि जो पेड काटकर अपनी जीविका चलाते है उनके शरीर को किसी न किसी कारण से कटना ही पड्ता है,जो इस पंचभूत से पूर्ण मनुष्य शरीर को काटने का काम करते है वे कम से कम अपने जीवन मे पांच बार काटे जाते है,पहले वे रिस्तो से काटे जाते है फ़िर हिम्मत से कट जाते है,फ़िर दया और धर्म से कट जाते है,फ़िर शरीर मे विकृत आने से अपनो से भी कट जाते है।

सुभाषितानि मे ऋषियों ने कहा है- न यश है न विद्या है न तप है न दान है न शील है न गुण है न धर्म है,यह सभी मनुष्य शरीर मे जानवर बनकर इस धरती पर चर रहे है। मेरा कहना यही है कि मनुष्य बन जाओ,अगर मनुष्य के शरीर मे पैदा हुये हो,अगर माता पिता जानवर थे तो तुम्हारा भी दोष नही है।

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