Menu
blogid : 7840 postid : 115

जहाँ देखो वहीं अतिक्रमण है !

Shilpjyoti by Astrobhadauria
Shilpjyoti by Astrobhadauria
  • 53 Posts
  • 34 Comments

बस में बैठने के लिये जगह नही है,फ़िर भी हम बस मे सफ़र करने के लिये सवार हो ही जाते है,एक एक सवारी की तरफ़ देखते है कि कोई भला आदमी कह दे -“आजाइये इधर बैठ जाइये”,बहुत देर तक जब कोई कुछ नही कहता है तो किसी भी कमजोर की तरफ़ देखकर उससे खिसकने के लिये कहते है,वह या तो अपने को कमजोर समझने के कारण खिसक ही जाता है,और नही खिसकता है तो थोडी सी जबरदस्ती हो जाती है,आखिर मे पुट्ठा टिकाने की जगह मिल जाती है धीरे धीरे बैठ भी जाते है। इसी प्रकार से भाई बहिनो मे बडे है या भाई बहिनो से ताकत अधिक है,ताकत भी अधिक नही है तो दिमग तेज है,माताजी ने क्या बढिया चीज बनाई है या घर मे कोई नई चीज खाने के लिये लाई गयी है,सभी को हिस्सा मिलता है लेकिन लालच बुरी बला है,और अधिक प्राप्त करने के लिये किसी भी भाई बहिन से और हिस्सा मांगा जाता है नही मिलने पर लातमघूसम होती है,आगे नतीजा कुछ भी हो लेकिन यह बात जबरदस्ती अपने हक से अधिक प्राप्त करने का अतिक्रमण ही कहलाता है। कोई बात नही घर से स्कूल गये,स्कूल मे पढाई भी की,जब देखा कि कोई एक आगे निकलता जाता है उससे आगे निकलने केलिये कोई न कोई फ़ेर बनाया और उअके बने बनाये नोट या उसकी जानकारी को प्राप्त किया,नम्बर भी अच्छे आ गये,यह नम्बर भी अतिक्रमण के द्वारा ही लाये गये। स्कूल के बाद कालेज मे गये,दोस्तो का साथ हुआ पहले अकेले हुआ करते थे अब बहुत सारे साथ हो गये,कभी किसी बात पर कभी किसी बात कालेज को बन्द करवा दिया गया,कभी रास्ता जाम कर दिया कभी मिलजुल कर किसी भी होटल आदि मे तोडफ़ोड कर दी,यह अरिक्रमण का ही रूप है। शादी विवाह का समय आ गया शादी के लिये लडका को लडकी और लडकी को लडका खोजा जाने लगा,योग्यता से अधिक शिक्षा को बताया गया,घर मे जितना है उससे अधिक का बखान किया गया,घर के मेम्बर रिस्तेदारों की पोस्ट को व्यवसाय को बढ चढ कर बताया गया,शादी हो गयी,यह भी अतिक्रमण ही तो हुआ। नौकरी के लिये प्रयास किये,जान पहिचान का सहारा लिया,घूस पट्टी का भी प्रयास किया राजनीति का जोड तोड बैठाया,नौकरी लग गयी,यह भी अतिक्रमण से ही हुआ। नौकरी मे पदोन्नति के लिये कोई अगला लाइन मे है उसकी पूंगी बजाने केलिये बास से चुगली की जाने लगी,उसके काम को कमजोर बताया जाने लगा और अपने काम को जोरदार बताया जाने लगा,पदोन्नति हो गयी,यह भी अतिक्रमण ही है। घर के भाइयों के साथ पिता का बंटवारा हुआ,जो अच्छा है उसके लिये मानस बनाया गया,बात अदालत तक पहुंची,वकील किये गये झूठे सच्चे कागज और कानून का सहारा लिया गया और मन चाहा बंटवारा ले लिया यह अतिक्रमण ही तो है। घर बनाने के लिये जमीन ली गयी,अपनी जमीन पर घर बना लिया रास्ते में चबूतरा बना लिया बाद मे उस चबूतरे पर भी कोई निर्माण कर लिया गया,घर से निकलने का रास्ता सडक तक लाया गया,आने जाने वाले परेशान होने लगे,यह भी अतिक्रमण ही तो है।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply