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राजतंत्र में तंत्र का प्रयोग

Shilpjyoti by Astrobhadauria
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राजनीति मे जाने के बाद जब किसी को कुर्सी का चसका लग जाता है तो वह नही चाहता है कि कुर्सी किसी भी प्रकार से हाथ से चली जाये.इस कुर्सी के लिये लिये तरह तरह के प्रयोग किये जाते है और वैसे चाहे सबके सामने कोई भी नेता यंत्र तंत्र मंत्र को बुरा बताने से नही चूके लेकिन जैसे ही कुर्सी पर आंच आती है वैसे ही वह तांत्रिक के पास अपनी समस्या को सुलझाने के लिये चला जाता है.यह बात कांग्रेस के जमाने से ही चली आयी है,जब कांगरेस के चार अक्षर भारत की राजनीति में डूबते नजर आने लगे तो इसके साथ आई को और जोड दिया गया,यही नही आई को जोडने के साथ साथ चुनाव चिन्ह भी गाय बछडा से बदल कर हाथ का पंजा बना दिया गया,अब कांग्रेस आई की विजय निश्चित हो गयी,कारण सूर्य बुध के पास हमेशा है और बुध कांग्रेस का पक्का साथी है ऊपर से बुध के अंक पांच का निशान उसके लिये रामबाण साबित हो गया,यही नही कांग्रेस ने बुध के हरे रंग को भी खूब प्रयोग किया और जो भी जातियां हरे रंग को मानने वाली है उन्हे अपनी साख मे सबसे अधिक शामिल कर लिया,मसलन मुस्लिम जाति हरे रंग को मानती है और चन्द्रमा के ऊपर बैठे सितारे को पूजती है यह चन्द्रमा के ऊपर बैठा सितारा ही चन्द्र पुत्र बुध है.लोग चिल्लाते है कि कांग्रेस हिन्दू विरोधी है,अगर कांग्रेस हिन्दू विरोधी नही होगी तो उसका तो पत्ता साफ़ हो जायेगा कारण हिन्दू गुरु को मानता है और गुरु का रंग पीला है.इस पीले रंग को प्रयोग मे लाना मुस्किल की बात है,हरा रंग हमेशा ही कांग्रेस के लिये वरदान साबित हुआ है। अगर आप नही मानते है तो किसी भी मुस्लिम राष्ट्र के झंडे को देख लीजिये,उसके अन्दर हरा रंग जरूर मिलेगा और यही हरा रंग बुध की निशानी है,अब तो आपको पक्का विश्वास हो गया कि राजनीति में तंत्र का प्रयोग होता है कि नही !
भारत जब आजाद हुआ तो भारत का झंडा तिरंगे के रूप में साबित किया गया,यह पहले की ही सोची समझी राजनीति के तंत्र के आधीन था,ऊपर का रंग केसरिया कर दिया यह गुरु का रंग है,बीच का रंग सफ़ेद कर दिया और सफ़ेद रंग के अन्दर अशोक का चिन्ह जिसके अन्दर एक घेरे के अन्दर चौबीस तीलिया है को स्थापित कर दिया,इस प्रकार से बीच मे ईशाई समुदाय को केतु के रूप मे स्थापित कर दिया,ध्वज के नीचे के कलर को हरा कर दिया। अब तंत्र को प्रस्तुत करने का मुख्य कारण था हिन्दू को ऊपर रखा गया नीचे मुसलमान को रख दिया गया,बीच मे ईशाई बैठ गया। इस तीलियो वाले चक्र को काफ़ी समय तक चरखा के रूप मे रखा गया,इस चरखा के कारण कांग्रेस के दो फ़ाड होते ही उसे हटा दिया गया और हाथ का पंजा बना दिया गया। बुध का कारक बहिन बुआ बेटी को माना गया है,कमन्यूकेशन को माना गया है,नेहरू जी के बाद इन्दिरा जी के लिये पांच पीढी का शासन पक्का हो गया,इसे कौन रोकने वाला है। गुरु का पीला रंग तो सुबह शाम के सूर्य का आसमान मे होता है,हिन्दू की औकात सुबह शाम के सूर्य के समय ही रही है,तेरह दिन या तेरह महिने अथवा इसी गणित में ही शासन हाथ मे रहा है। हरा रंग तो धरती का है जिस धरती पर बुध बैठा हो उसे कौन दूर कर सकता है साथ ही जब ईशाई बीच मे बैठ कर दोनो को मिलने नही दे रहा है और अपनी चौबीस प्रकार की नीतियों से दूर करने मे माहिर बना बैठा है तो कैसी भी दोनो एक हो ही नही सकते है। यह तंत्र का असली रूप !
कुमारी मायावती ने अपनी चाल खेली उन्होने अपने को राहु के नीले रंग को और राहु के चिन्ह हाथी को अपना चुनाव चिन्ह बना डाला,नीच जातियों को जो राहु की श्रेणी मे आती है उन्हे अपने साथ ले लिया,जब तक शासन रहा नीले रंग का आस्तित्व रहा,जैसे ही राहु वृश्चिक राशि का आया,राहु कबाडखाने मे चला गया।
श्री मुलायम सिंह ने भी अपनी तंत्रात्मक युति को अपना कर देखा,उन्होने अपने झंडे का रंग ऊपर से लाल और नीचे से हरा,बीच मे साइकिल,और साइकिल के पहिये तो हरे रंग पर बाकी का हिस्सा लाल रंग में। लाल रंग मंगल का है हरा रंग बुध का है,मंगल के रंग को कमन्युस्ट ही मानते है या फ़िर रक्षा सेवा डाक्टरी कारणो में और तकनीक मे देखा जाता है,राहु दवाइयां तो मंगल डाक्टर बिना डाक्टर के कहां दवाइयां ? युवा वर्ग और मुस्लिम को साथ लेकर श्री मुलायम सिंह ने भी अपने तंत्र का प्रयोग सही रूप मे कर लिया,लाल रंग मंगल का है यह मैने पहले भी लिखा और मंगल ही राहु को कन्ट्रोल कर सकता है जैसे राहु हाथी तो मंगल अंकुश,राहु बुध का साथी है,मंगल के साथ रहते ही बुध भी शामिल हो गया और कुर्सी श्री मुलायम सिंह के पास,एक बात और भी देखनी पडेगी कि चरखे की तीली और अशोक चक्र की तीली से दु गुनी तीलियों की संख्या साइकिल के पहिये में है,एक पहिया जोर लगाता है तो एक सहारा देकर दिशा बदलता है,अगला पहिया श्री अखलेश यादव हो गये तो पिछला पहिया श्री मुलायम सिंह हो गये,मुस्लिम की बुध रूपी धरती पर मंगल रूपी युवाओं और पुलिस जानदार लोगो की छत्रछाया मे यह साइकिल बिना चले मान सकती है ?

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